134 साल पुराना मुकदमा , सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, भारत की ऐतिहासिक जीत।
पत्रकार डिंपल राणा की कलम से ✒आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ ही गया ,जिसका सबको कितने वर्षों से इंतजार था।अब अयोध्या में बनेगा राम मंदिर जिसकी जिम्मेदारी अब केंद्र सरकार की है । देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आज 10:00 बज कर 31 मिनट पर अयोध्या विवाद से जुड़े फैसले पर पांच जजों के सिग्नेचर लिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 43 मिनट में भारत के सबसे लंबे मुकदमे का फैसला पढ़ा, जिसकी सुनवाई 40 दिनों से चल रही थी। इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखी । आज कोर्ट में तमाम दलीलें और सबूतों का जिक्र किया, जिसमें निर्मोही अखाड़ा जमीन पर अपने कब्जा का दावा भी साबित नहीं कर पाया। इसलिए उनके दावे को खारिज कर दिया गया। अब इस विवाद में सिर्फ दो पक्ष बच्चे एक रामलला विराजमान और दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड । चीफ जस्टिस ने कहा कि पुरातात्विक सबूतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योंकि विवादित ढांचे के नीचे जो कलाकृतियां मिली वह इस्लामिक नहीं थी । वहां एक विशाल रचना थी, यह बात तो बिल्कुल साफ है मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक वहां 12 वीं सदी का मंदिर था जबकि एएसआई यह साबित नहीं कर पाया कि विवादित ढांचा मंदिर तोड़कर बना था या नहीं । सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि अयोध्या में राम जन्म होने के दावे हैं जिसका किसी ने विरोध नहीं किया। वहां पर हिंदू लोग पूजा करते इस बात के भी सबूत मिले। 1856 से पहले वहां हिंदू अंदरूनी के हिस्से में पूजा करते थे । मुस्लिम पक्ष के दावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी उठाए। अपने फैसले के पेज नंबर 791 के पैरा नंबर 678 में कोर्ट ने लिखा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुताबिक 1528 में मस्जिद बनने के बाद से मुसलमान वहां नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856 तक वहां नमाज पढ़े जाने के कोई सबूत नहीं मिले। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष इमारत के अंदरूनी हिस्से में अपना कब्जा भी साबित नहीं कर पाए । 1856 से पहले हिंदू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे। 134 साल पुराना मुकदमे पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ ही गया जिसमें 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को मिली । अब अयोध्या में राम मंदिर बनेगा ,मंदिर बनाने की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को मिलेगी। केंद्र सरकार को 3 महीने में ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया । सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के लिए 5 एकड़ जमीन किसी और जगह देने को कहा । सुप्रीम कोर्ट में अपनी विशेष शक्तियां इस्तेमाल कर मुस्लिम पक्ष को जमीन दी इसके बावजूद भी सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही तरह से स्वीकार नहीं किया, वह कोर्ट के इस फैसले से असंतुष्ट है ।
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