उत्तर भारत का युवा काम करने के योग्य है या अयोग्य?

पत्रकार डिंपल राणा की कलम से ✒
बेरोजगारी का मुख्य कारण क्या हो सकता है बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है लगभग 50 से 60 करोड़ युवा है जिनमें से 85% युवाओं के पास डिग्रियां है लेकिन जॉब नहीं है इसमें किसकी गलती है पिछले 45 वर्षों में बेरोजगारी दर का रिकॉर्ड 2017 -18 में टूट गया है ।यानी पिछले 45 वर्षों में जितनी बेरोजगारी दर थी उसका रिकॉर्ड दो हजार सत्रह अट्ठारह वर्ष में टूट चुका है यानी इस समय जो सरकार सत्ता में है उसकी वजह से बेरोजगारी एक बड़ा कारण है। वैसे हमारे देश में ऐसे बहुत मुद्दे है जिन पर सरकार को केंद्रित होना चाहिए लेकिन बेरोजगारी और किसानों का जो मुद्दा है वह विकराल रूप ले चुका है ।बेरोजगारी के कारण क्या हो सकते हैं एजुकेशन सिस्टम ,टैलेंट की कमी, बढ़ती हुई जनसंख्या, प्लेटफॉर्म की कमी ,डिग्रियां है ,लेकिन स्किल्स नहीं है, लोगों के पास इन सब में से क्या कमियां है ।आज का यूथ पढ़ा लिखा है या फिर जो सरकार है वह बेरोजगार दर को कम नहीं करना चाहती हाल फिलहाल में केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था की देश में रिक्रूटर्स आते हैं नौकरी देने के लिए लेकिन यूथ के पास कहीं ना कहीं टैलेंट की कमी है, अगर टैलेंट की ही कमी है तो हमारा यूथ चांद पर नहीं पहुंच पाता। डिग्री महत्व रखती है या टैलेंट महत्व रखता है। यह एक बड़ा सवाल है कुछ लोगों के पास डिग्रियां तो बहुत बड़े-बड़े कॉलेज की होती है, लेकिन टैलेंट उनके अंदर बहुत कम होता है ,तो ऐसे लोगों को रोजगार मिलेगा भी कहां से। दूसरी तरफ जिनके पास टैलेंट है उनके पास डिग्री नहीं है तो उन्हें भी नौकरी मिलने में समस्या आती है। दोनों ही सिचुएशन में क्या प्रावधान सरकार को आज की यूथ के लिए निकालना चाहिए या फिर यूं कह लें यूथ को ही अपने आप को मजबूत करना होगा। दोनों ही केस इसमें डिग्री भी होनी चाहिए और टैलेंट भी होना चाहिए दोनों ही चीजें अपना-अपना महत्व रखती हैं यूथ को रोजगार दिलाने में। सरकार कोई भी हो सत्ता में ,मुद्दे तो हमेशा वहीं रहते हैं, किसानों का मुद्दा, बेरोजगारी का मुद्दा ,क्राइम का मुद्दा ,और बहुत सारे मुद्दे हैं जो कोई भी सरकार आए उसे देखने होते हैं ।अब सरकार की बात कहे तो वह काम तो करती है लेकिन जिन मुद्दों पर काम करना चाहिए उन मुद्दों पर नहीं करती। जिन किसानों का कर्जा माफ करना चाहिए उनका करजा माफ करने में इतना समय क्यों लगता है ,और जिन का कर्जा माफ नहीं होना चाहिए उनका करजा माफ जल्दी कर देती है ।सरकार आपस में ही पक्ष विपक्ष की लड़ाई में सारा समय लगा देती है ,लेकिन जनता पर ध्यान देने में असमर्थ रह जाती है जितने भी प्रशासन के अंदर नेता है वह सिर्फ एक दूसरे पर कटु वचन बोलते रहते हैं ,हमने यह किया हमारी सरकार ने यह किया तुम्हारी सरकार ने यह नहीं किया। तुम्हारे सरकार की नेता ने इतना भ्रष्टाचार किया तुमने यह भ्रष्टाचार किया ,इन सभी पर वह आपस में एक दूसरे को   घेरती नजर आती है नजर आती है ,लेकिन क्यों नहीं सरकार एकजुट होकर जनता के मुद्दों पर जनता पर उनकी परेशानियों पर निजात दिलाने के लिए बात करती है। प्रशासन जो भी पैसा टेक्स्ट के थ्रू जनता से वसूल ती है वह जनता में नहीं लगाती ,बल्कि अपने अपने अकाउंट में जमा करती है, और यह सारे ही नेता एक जैसे नहीं है, इनमें से कुछ ऐसे नेता भी है जो काम करना चाहते हैं और काम करते भी हैं ,लेकिन ज्यादातर नेता भ्रष्टाचारी में विलीन है चुनाव आता है तभी क्यों सारे मुद्दे गरमा जाते हैं ,चुनाव खत्म होते ही क्यों सब कुछ शांत रहता है चुनाव खत्म होने के बाद भी जनता को हर मुद्दे पर एक्टिव रहना चाहिए ,किसी एक इंसान को नहीं बल्कि हर घर से हर युथ को हर बुजुर्ग को सारे मुद्दों पर बात करते रहना चाहिए।

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