जिला मुजफ्फरनगर की दीप्ति मलिक बनी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का हिस्सा।

पत्रकार डिंपल राणा की कलम से ✒
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वर्तमान समय में नारी पुरुषों से हर क्षेत्र में आगे हैं और उनसे दोगुनी मेहनत करने में विश्वास रखती हैं। ये खुद के दम पर सारी चीजें करती है, और इंडिपेंडेंटली अपना सारा कार्य  संभाल लेती हैं अब चाहे वह परिवार की बात हो या अपने काम को लेकर ऑफिस की बात हो हर चीज संभालने की क्षमता एक नारी के अंदर होती है, और हमेशा रहेगी। नारी को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता और ना कभी रोक पाएगा। बस जरूरत है अपने अंदर के विश्वास को जगाने की और एक मजबूत ढाल बनकर अपने लिए और अपने परिवार के लिए और अपने सपने के लिए लड़ने की व जीत को छू जाने की।
नारी वही है जो हर क्षेत्र में दुश्मन को  मात दे दे और कभी भी किसी भी परिस्थिति में नारी घबराती नहीं है डटकर कठिनाइयों का  सामना कर आगे बढ़ती ही चली जाती है और अपनी मंजिल को पाकर ही रहती है। एक ऐसे ही नारी के बारे में आज आपको बता रही हूं। जिला मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव खरड़ निवासी स्व ओमवीर सिंह मलिक की बेटी दीप्ति मलिक ने अपने हुनर से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम कर लिया है। 2012 में अपना कैरियर बनाने के लिए दीप्ति मलिक मुंबई आई। उनके परिवार ने उनको कैरियर बनाने मे पूरा सहयोग दिया है जिसकी वजह से वह आज एक मुकाम हासिल कर पाई है। हाल ही में 24 जनवरी 2020 में मुंबई के एक होटल में प्रीतम दा के एक वेब सीरीज दा फॉरगोटन आर्मी के तीन गानो को 1046 गायकों  ने एक साथ गाया था। इसके मुख्य गायकों में दीप्ति मलिक भी शामिल थी। दीप्ति ने अपने कैरियर की शुरुआत सुरेश वाडेकर आ०र०जी वासन संगीत अकादमी से की है। दिसंबर 2019 में दीप्ति ने द लॉयन 100 एक्सपीरियंस बैंड के लिए ऑडिशन दिया और सेलेक्ट होकर 27 दिसंबर को अपने बैंड के साथ रिलायंस फाउंडेशन के 10 साल सेलिब्रेशन में नेशनल एंथम व जय हो गानों को 60,000 लोगों के सामने परफॉर्म किया। दीप्ति बताती है कि इंटरमीडिएट के पढ़ाई उन्होंने जैन कन्या इंटर कॉलेज से की। और ग्रेजुएशन आ०र०के०पीजी कॉलेज से पूरी की। इसके बाद वह अपना सपना पूरा करने के लिए सपनों की नगरी मुंबई में चली आई। जहां पर उन्होंने बेहद चुनौतियों का सामना करना पड़ा ,जहां पर परिवार ने उनको पूरा सहयोग दिया,उनकी मां रेखा वह भाई ने उनका हर चीज में साथ दिया,और आज जो उपलब्धि उन्हें मिली है जिसको हासिल करने के लिए उन्होंने बेहद ही कठिनाइयों का सामना किया है। वो कहते हैं ना मेहनत आखिरकार रंग ले ही आती है, तो दीप्ति मलिक को आज हर कोई जानता है जिला मुजफ्फरनगर में और जिला मुजफ्फरनगर के बाहर भी।



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