कोरोना माहमारी का व्यावसायीकरण

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डॉ0 संगीता शर्मा अधिकारी की कलम से

" कोरोना माहमारी का व्यावसायीकरण "

जी हां आप शीर्षक देखकर चौंकिए मत कि ऐसे कैसे कोरोना वायरस महामारी का व्यवसायीकरण!!!
यह तो न अब तक कहीं पढ़ा, न सुना, फ़िर ऐसे कैसे भला। अभी तक तो हम केवल कोरोना वायरस से बचने की हिदायतें, नसीहते, एहतियात, खुद को इस महामारी से कैसे बचाया जाए, लॉक डाउन नियम का कैसे पालन किया जाए आदि आदि इन सब विषयों के बारे में ही पढ़, सुन रहे थे लेकिन अचानक यह क्या इतनी संकटकालीन स्थितियों में एक महामारी के इस पक्ष पर भी कई खुराफाती दिमाग अपने शैतानी घोड़े दौड़ा रहे हैं क्या?? क्या सचमुच इस महामारी का व्यवसायीकरण किया जा रहा है?? क्या यह सच है??

ऐसे कई प्रश्न आपके ज़हन में रह रह कर आ रहे होंगे। जिनका आना बेहद लाज़मी भी है और मैं आपको बताना चाहूंगी कि यह एकदम सच है। जी हां 100 फ़ीसदी खरा सच। ऐसा इन दिनों ज़ोरो शोरों से हो रहा है।

अब आप सोचिए कि जहां एक ओर भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है, हर रोज उसके लिए कितने डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सभी सेवाकर्मी और हम समस्त मानव जाति अपने आपको इस सृष्टि में बनाए और बचाए रखने के लिए हर रोज़ एक नया संघर्ष कर रही है उन्हीं हालातों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ धन कमाना भर है। उनको किसी से भी किसी प्रकार का कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं है।

क्या सचमुच हम, हमारा समाज, यह पूरा ब्रह्मांड, समस्त सृष्टि, हम सब, एक ऐसी संस्कृति का हिस्सा बनते जा रहे हैं जिसमें संवेदनाओ का अभाव होता जा रहा है। जहां लोग बेहद असंवेदनशील होते जा रहे हैं। इसका जवाब भी मुझे लगता है, जी हां। क्योंकि अगर ऐसा नहीं है तो फिर इन अत्यंत विपत्ति के क्षणों में, इन बेहद कठिन परिस्थितियों में भी जब हम सब को एकजुट होकर अपनी एकता और अखंडता का परिचय देना चाहिए वही हम एक - दूसरे की जान के प्यासे बने हुए हैं। उनकी लाशों पर राजनीति कर रहे हैं। प्राणी मात्र की जिंदगी का सौदा कर रहे हैं। सचमुच क्या इतनी गिर गए हैं हम। हमें इतनी भी समझ नहीं कि क्या गलत है और क्या सही ?? आखिर किस दिशा में जा रहे हैं हम, हमारा समाज, हमारा राष्ट्र। बेहद चिंताजनक😔

यह बात मैं बहुत ही प्रामाणिकता के साथ आप सभी के समक्ष रख रही हूं जो किसी सोशल साइट, फेक न्यूज़ चैनल आदि द्वारा परोसा गया समाचार या किसी अन्य स्रोत से प्राप्त कोई अफवाह या झूठी जानकारी नहीं अपितु अपने ही किसी ख़ास द्वारा भोगा गया यथार्थ है।

तो हुआ यूं कि 23 मार्च, 2020 को जैसे ही लॉक डाउन की घोषणा हुई कि आज रात 12:00 बजे से 21 दिन तक की अवधि के लिए संपूर्ण भारत लॉक डाउन हो जाएगा तो ऐसे में सुबह जहां लोगों को एक दूसरे की भलाई के कार्यों के विषय में सोचना चाहिए था, ये सोचना चाहिए था कि ऐसे में हम कैसे किसी जरूरतमंद के काम आ सके, किसी को भी कोई तकलीफ ना हो हम ऐसा कुछ करें यह सब तो दूर की कौड़ी रही जनाब बल्कि लॉक डाउन की खबर सुनकर तो जैसे वे लोग फूले न समाए हो और इस खबर को सुनने के बाद से उनके शैतानी दिमाग नए मंसूबों की ओर दौड़ने लगे। ऐसे ही शैतानी दिमागो ने अपने गलत मंसूबों का हिस्सा बनाने के लिए कुछ प्रतिष्ठित लोगो को अपना टारगेट बनाया।

और इस लॉक डाउन में एक दिन अचानक डाक्टर साहब को एक फोन आता है। नमस्कार डॉक्टर साहब क्या हाल चाल हैं आपके। सब ठीक ठाक चल रहा है न। और हालचाल पूछने वाके महाशय सीधा मुद्दे पर आ जाते हैं। डॉक्टर साहब आपका पी आर काफी स्ट्रांग है। मैंने देखा है आपके कई व्हाट्सएप ग्रुप हैं। फेसबुक पर भी ट्विटर पर भी सब जगह आप बहुत एक्टिव है। मैं लगातार आपकी पोस्ट पढ़ता रहता हूं। आप के फॉलोअर्स बहुत है तो मैंने सोचा कि क्यों ना आपसे बात की जाए। और उन्होंने अपनी मंशा जाहिर की "डॉक्टर साहब देखिए जैसा कि आप जानते ही हैं कि आजकल कोरोना वायरस महामारी बहुत तेजी से फैल रही है तो मेरे पास एक ऐसी दवाई है जो पानी के साथ सुबह-शाम लेनी है उससे कोरोना वायरस तो क्या किसी भी वायरस का बाप भी आपको अपनी चपेट में नहीं ले सकता। उन महाशय के ऐसा कहते ही डाक्टर साहब ने बड़े आश्चर्य के साथ पूछा - क्यों ऐसा क्या रामबाण इलाज आ गया आपके पास जो अभी तक हमारे देश के डॉक्टर्स भी नहीं खोज पाए। यह सुनते ही वो और अधिक दृढ़ता के साथ अपनी बात को कहने लगा, अरे डाक्टर साहब एक दवाई आई है मार्केट में उसकी चार - चार बूंद सुबह - शाम पानी में डालकर के पीनी है वो इंसान की इम्युनिटी को इतना स्ट्रांग कर देती है कि फिर कोई भी वायरस उनको टच नहीं कर सकता।

डॉक्टर साहब बोले- जी ये तो बहुत अच्छी बात है तो क्या आपने उसको ट्राई किया। महाशय बोलने लगे - नहीं ट्राई क्या करना डाक्टर साहब, मैंने तो आपको इसलिए फोन किया है कि आप बहुत बड़े डॉक्टर हैं। आप अगर इस प्रोडक्ट का प्रचार करेंगे तो इसकी प्रामाणिकता और अधिक बढ़ जाएगी और आपकी बात पर विश्वास कौन नहीं करेगा भला। आप इस प्रोडक्ट की सेल कराइए और प्रत्येक प्रोडक्ट पर 30 परसेंट कमिशन पाइए। मैं आपको अभी एक लिंक भेजता हूं आप तुरंत उस पर अपनी आईडी बना लीजिए और अगर आप आई डी ना बना पाएं तो मुझे बताइएगा मैं आपकी आईडी बना दूंगा। दो मिनट का काम होता है फटाफट से बन जाएगी। बस मुझे आप डिटेल भेज दीजिएगा और आईडी बनने के बाद से ही आपको परसेंटेज मिलना शुरू हो जाएगा।

यह बात जब मुझे मेरे डॉक्टर मित्र ने बताई तो सुनते ही जैसे मेरे तो काटो खून नहीं😢

चूंकि मैं कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़ी हूं जिसमें हम समाज कल्याण के कार्य करते हैं। इन दिनों जब मैं लॉक डाउन में घर पर हूं और मैं घर से बाहर नहीं जा रही हूं क्योंकि लॉक डाउन है और बाहर जाने की एकदम पाबंदी है तब भी हमारी टीम के अन्य सहयोगियों के माध्यम से मैं लगातार घर पर रहकर भी जो, जितना, जैसा मुझसे बन पड़ रहा है उनको यथासंभव सहयोग कर रही हूं। तो ऐसे ही कई किस्से आए दिन मैं मैंने अपने दोस्तों से लगातार सुन रही हूं कि उन्हें मास्क बनाने, ग्लव्स बनाने आदि के ऑर्डर आ रहे हैं और प्रति मास्क और प्रति ग्लवस पर कुछ प्रतिशत फिक्स किया जा रहा है। जैसी कई बातें इन दिनों मेरे संज्ञान में आई। कुछ पर यकीन हुआ तो कुछ की बातों की पुष्टि नहीं हो पाई।

लेकिन मेरा दिमाग उस समय ठनका जब एक भले आदमी ने एक दिन मुझे भी फोन किया और फोन उठाते ही तपाक से परपोज़ल दे मारा... अरे नहीं फ्रेंडशिप का प्रपोजल नहीं, दिस इज़ डिफरेंट...ये महाशय खुद को बहुत बड़े समाजसेवी कहते हैं उनसे मेरा परिचय एक मित्र के माध्यम से उनकी एनजीओ के वार्षिक समारोह में हुआ था। उस दिन मंच से जो बातें वह माइक पर कह रहे थे उसे सुनकर उनसे इस प्रकार की उम्मीद भी नहीं की जा सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा कहा जो बेहद चौकाने वाला था!!

वो कहने लगे " नमस्कार डॉक्टर साहिबा, कैसी हैं आप।"
मैंने कहा - " जी बस बहुत बढ़िया सर। आप सुनाइए क्या हालचाल??"
उन्होंने कहा - " जी मैं भी ठीक हूं।बस आपसे कुछ बात करनी थी।"
मैंने कहा - " जी बिल्कुल बताइए सर।"
उन्होंने कहा - " मैडम देखिए अभी यह जो लॉक डाउन की सिचुएशन हो गई है इसमें लोग इतने पैनिक हो गए कि वो घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं तो मैंने सोचा कि मुझे मेरी एन जी ओ के नाम पर जो एक जमीन मिली थी वहां पर मैंने कुछ सब्जियां लगवाई हैं और मैं ऐसा सोच रहा हूं कि वो सब्जियां हम दिल्ली वालों को घर - घर जाकर सप्लाई करेंगे। लॉक डाउन की स्थिति में लोगों को घर बैठे साफ-सुथरी, पौष्टिक, बिना पेस्टिसाइड्स की ऑर्गेनिक सब्जियां खाने को मिलेगी और वो भी दिल्ली जैसे शहर में तो लोगों को और क्या चाहिए वो खुशी-खुशी उस सब्जी के दुगने दाम देने को भी तैयार हो जाएंगे। दिल्ली वालों की तो वैसे भी पेयिंग कैपेसिटी अच्छी है। क्यों, क्या कहते हैं मैडम जी आप ?? कैसा लगा आपको मेरा आइडिया??

इससे पहले कि मैं कुछ कहती उन्होंने ही कहा इस काम को शुरू करने के लिए ही तो मैंने आपको फोन किया है। आपका तो बहुत बड़ा सर्कल है। इतने लोगों से आपकी जान पहचान है, आप कुछ ऐसी 8 - 10 महिलाओं को मेरे साथ जो जोड़िए जो ₹5000 की मेंबरशिप लेकर इस काम को शुरू करें। उनकी इस धन राशि पर हम उनको उतने मूल्य की सब्जियां उपलब्ध करा देंगे और आगे वह अपने स्तर पर उन सब्जियों का विक्रय करें।

वह आगे कुछ बोलते इससे पहले मैंने उन्हें टोकते हुए कहा - " सर लॉक डाउनलोड में जहां लोगों ने खाने के सामान तक की जमाखोरी कर ली है। एक आम आदमी तक राशन पहुंच नहीं पा रहा है। एक दिहाड़ी मजदूर जो रोज काम करता है। रोज अपनी कमाई से उसके घर का चूल्हा जलता है। ऐसे लोगों को हमें अपना पैसा खर्च करके जहां अपनी जेब से राशन उपलब्ध कराना चाहिए वहां आप ये सोच रहे हैं कि लोगों के घर में ऑर्गेनिक सब्जियां पहुंचाने के लालच से किस प्रकार नए मेंबर बनाकर उन्हें उनके स्वास्थ्य और सेहत का डर दिखाकर कैसे उनको मेंबरशिप दे दी जाए और उन मेंबरशिप के पैसों से अपना भी कमिशन फिक्स करूं और वही लालच आपने मुझे भी दिया कि अगर आप इतनी महिलाओं को जोड़ोगे तो आपको इतना प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा!!"

मतलब की हद ही हो गई सर ये तो, और मैंने कहा - " शर्म कीजिए सर, ऐसे में भी आपने बिजनेस करने का सोचा और आपने उसका माध्यम मुझे बनाना चाहा। मैं अपने दोस्तों के साथ आपके कहने पर विश्वासघात करूंगी, ये सोचा भी कैसे आपने। इंसान जिंदगी में पैसा तो बहुत कमा लेता है पर रिश्ते बहुत मुश्किल से कमाए जाते हैं और मैंने पैसा जरूर कम कमाया हो लेकिन रिश्तो के मामले में बहुत अमीर हूं। और मैंने उन्हें गुस्से में कहा कि आज के बाद आप कभी गलती से भी मुझे कभी फोन मत कर दीजिएगा।"

मैं तो ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूं कि वो हम सभी की कमाई में हमेशा बरकत रखें बाकी पूरा तो कभी, किसी का हुआ नहीं है और न ही कभी होगा। पर जितना प्राप्त है उतना ही पर्याप्त है हमें हमेशा इसी नियम का पालन करना चाहिए।

ऐसा ही एक और असंवेदनशील मामला प्रामाणिकता के साथ एक न्यूज़ चैनल में पर्दाफाश करते हुए सबके सामने रखा। जहां एक ओर कितनी कठिनाई से सरकारें राज्यों में हर जरूरतमंद, गरीब व्यक्ति तक धन राशि पहुंचा रही है। सरकार द्वारा मनरेगा योजना की राशि भी हर जरूरतमंद तक भेजी जा रही है वहीं दूसरी ओर कुछ खुराफाती लोगों का भांडा फूटते हुए समाचार में जब असलियत का पर्दाफाश हुआ तो दिल दहल गया।

एक गरीब व्यक्ति को मनरेगा योजना के अंतर्गत उसके खाते में 4900/- रुपए आए। जबकि उसको केवल 400/- रुपए देकर, उससे 4900/- रुपए के कागज पर हस्ताक्षर ले कराए गए। जब यह पूरी घटना जौनपुर जिले के डीएम साहब के पास गई तो उन्होंने उसी वक्त मामले की तहकीकात कराकर उस प्रधान सेवक को जिसने उस गरीब व्यक्ति को केवल 400/- रुपए देकर 4900/- रुपए की धन राशि पर हस्ताक्षर करवाए थे उन्हें तुरंत जेल में बंद करने के आदेश दे दिए।

इन हालातों में भी इंसान पता नहीं किस ओर जा रहा है। गिरने के अभी और कितने स्तर बाकी है। कितना और नीचे गिरना शेष है अभी उसे पता नहीं.....

ये सब दृष्टांत आप सबके साथ साझा करना आपको भयाक्रांत करना नहीं अपितु आपको जागरुक करना, सतर्क करना है। और समाज में व्याप्त कुछ इस प्रकार के अराजक तत्वों के प्रति आपको आगाह करना है ताकि आप ऐसे लोगों से सावधान रहें।

साथियों, इन संकट के क्षणों में जब एक ओर पूरा विश्व कोरोना वायरस की बीमारी से जूझ रहा है, हम सभी अपने - अपने स्तर पर अलग-अलग स्थितियों से प्रतिदिन जूझ रहे हैं, ऐसे में हम सभी को सबका ख्याल रखना है। केवल अपने बारे में ही नहीं सोचना, सबको साथ लेकर के चलना है। यही हम सबका नैतिक दायित्व भी है। हालांकि इस समय हम सभी लोग लॉक डाउन की कठिन स्थितियों में अपने-अपने घरों में बंद है। लेकिन घरों में बंद होने के बावजूद भी हम संसाधनों से भी एक - दूसरे का यथासंभव सहयोग घर बैठे भी कर सकते हैं। हम स्वयं बाहर ना जाए पर जो लोग इन सामाजिक कार्यों के लिए अधिकृत किए गए हैं हम उनको सहयोग करें ताकि वह बिना रुके, बिना व्यवधान के प्रत्येक जरूरतमंद तक रोज राशन पहुंचा सकें। उन्हें जरूरत की सुविधाएं मुहैया करा सकें और आप अगर कुछ भी कर पाने में सक्षम न हो पा रहे हो तो कम से कम ऐसी किसी भी प्रकार की अफवाहों का, गलत मंसूबों का, विषाक्त मानसिकता का हिस्सा मत बनिए। उनका कभी भी साथ मत दीजिए।

यदि इन विपत्ति के क्षणों में भी हम अपना धैर्य और संयम बनाए रखें और एक दूसरे को भी साहस - हौसला देते रहें, अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का, पूरे राष्ट्र का ख्याल रखें, निराशा में भी आशा का संचार करें तो मुझे नहीं लगता कि दुनिया में कोई भी कार्य ऐसा है जिसे किया ना जा सके। इस दुनिया में सब कुछ संभव है और इस समय इन कठिन परिस्थितियों में हमे ऐसी ही सकारात्मक ऊर्जा और विश्वास की आवश्यकता है जो हम सभी के भीतर नव उत्साह - नव उम्मीद को संचरित करें। इस समय में यही प्रत्येक भारतीय की ओर से अपने प्यारे भारत राष्ट्र के प्रति सच्ची देशभक्ति है।

ईश्वर करे कि हम सभी बहुत जल्द इन विकट व अत्यंत कष्टकारी परिस्थितियों से बाहर आएं और एक बार फिर से संपूर्ण विश्व नवप्रभात सा जगमगाए।

तो दोस्तों आप सभी सरकार द्वारा समय-समय पर जारी नियमों का पूर्ण ईमानदारी व निष्ठा के साथ अनुपालन कीजिए। कृपया आप सभी लॉक डाउन नियम का पालन करते हुए सिर्फ और सिर्फ घर ही में रहिए। जितना हो सके इस समय में अपनी एकजुटता का परिचय देते हुए जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे बढ़कर प्रयास कीजिए और अपना भरपूर योगदान दीजिए।

आप सभी के सदकार्यों के प्रति मेरी ओर से आप सभी को अनेकानेक साधुवाद और अशेष मंगलकामनाएं साथियों।

तो दोस्तों कोरोना का क्या रोना
इसे तो होगा ही इक दिन धोना
तो आओ हम सब मिलकर कहे गो कोरोना, गो कोरोना, गो कोरोना।
जय हिंद जय भारत🙏🙏

डॉ0 संगीता शर्मा अधिकारी।
लेखिका ।

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