व्यक्तियों को कुचल कर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं ( भगत सिंह)

 व्यक्तियों को कुचल कर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं  ( भगत सिंह) 

देश के महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को शत शत नमन! 

मार्क्स के विचारों से बेहद प्रभावित भगत सिंह ने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था, इसका मतलब है कि क्रांति की जय हो.जेल में रहने के बावजूद भी अपने क्रांतिकारी विचारों को वो लेख के माध्यम से अपने दोस्तों तक पहुंचाते ,शहीद भगत सिंह साहसी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिंतक थे। अपनी जिंदगी के बारे में परवाह किये बगैर भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी दोस्तों ने ऐसे पराक्रमिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।” 

अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद करने के लिए चले आंदोलनों में भगत सिंह का नाम बहुत ही गर्व से लिया जाता है। 12 साल की उम्र में जलियांवाला बाग कांड का उनके मन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा था। 14 साल के भगत सिंह ने सरकारी स्कूलों में किताबें और कपड़ों में आग लगा दिया था। देश की रक्षा के खातिर अपनी पढ़ाई छोड़कर सन् 1920 में वो महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन में शामिल हुए।


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